भारत का अनोखा मंदिर: जहां शुगर की बीमारी होती है दूर - Nahargarh Biological Park Jaipur | Nahargarh Biological Park Safari

Nahargarh Biological Park a great place for your kids to know about wildlife and also there is lion safari available now.Nahargarh Biological Park is famous for its vast flora and fauna. Located near Jaipur, park is famous among bird watchers. Nahargarh Zoological Park is also worth a visit.

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Wednesday, June 4, 2025

भारत का अनोखा मंदिर: जहां शुगर की बीमारी होती है दूर

 डायबिटीज यानी शुगर की बीमारी आज के समय में एक आम समस्या बन गई है। औरतें हों या पुरुष, इस बीमारी ने हर उम्र और वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो ये शरीर को अंदर से खोखला कर देती है नसों से लेकर हड्डियों तक को कमजोर बना देती है।

भारत का अनोखा मंदिर: जहां शुगर की बीमारी होती है दूर


इलाज करवाने के बाद भी ज़िंदगी भर की दवाइयां पीछा नहीं छोड़तीं। लेकिन कहा जाता है कि अगर किसी चीज़ पर सच्चा विश्वास हो तो सिर्फ दवा नहीं, भगवान भी दुख दूर कर सकते हैं। कुछ ऐसी ही उम्मीद लेकर लोग पहुंचते हैं तमिलनाडु के एक खास मंदिर में जिसे डायबिटीज ठीक करने वाला मंदिर कहा जाता है।

भारत का अनोखा मंदिर: जहां शुगर की बीमारी होती है दूर


भारत में आपने कई मंदिरों के बारे में सुना होगा जो मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन एक ऐसा मंदिर जो डायबिटीज जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए जाना जाए ये थोड़ा अलग और हैरान करने वाला लगता है। तमिलनाडु के तिरुवरूर ज़िले के पास स्थित है वेन्नी करुंबेश्वरर मंदिर, जिसे "गन्ने के भगवान" के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर एक अनोखे विश्वास के कारण लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गया है।


मंदिर की खासियत: भगवान शिव का अनोखा रूप


इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है लेकिन इस रूप में उन्हें "करुंबेश्वरर" यानी गन्ने के भगवान कहा जाता है। यहां जो शिवलिंग है वो गन्ने की लकड़ियों से बना हुआ है। यहां आने वाले भक्त खासकर डायबिटीज के रोगी होते हैं। लोग भगवान के चरणों में चीनी चढ़ाते हैं और यही प्रार्थना करते हैं कि उन्हें इस बीमारी से राहत मिले।

लाखों लोगों को मिला आराम, दावा करते हैं श्रद्धालु


इंफ्लुएंसर 'द टेम्पल गर्ल' और सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, कई लोगों का शुगर लेवल इस मंदिर में दर्शन के बाद कम हुआ है। कुछ लोगों की दवाई कम हो गई, कुछ को लंबे समय बाद राहत मिली और कुछ ने तो दावा किया है कि उनकी डायबिटीज पूरी तरह ठीक हो गई। इन सबका मानना है कि अगर सच्चे दिल से विश्वास किया जाए, तो भगवान हर मुश्किल दूर कर सकते हैं - चाहे वो बीमारी ही क्यों न हो।
चींटियां और शुगर लेवल: एक अनोखी मान्यता

मंदिर से जुड़ी एक और रोचक बात है चींटियों का संबंध शुगर लेवल से। यहां भगवान को रवा और चीनी का विशेष भोग चढ़ाया जाता है। इस भोग को मंदिर के आसपास बिखेर दिया जाता है जिससे कि चींटियां आकर इसे खाएं। मान्यता है कि जैसे-जैसे चींटियां चीनी खाती हैं वैसे-वैसे भक्त के शरीर में शुगर लेवल कम होता है। इस पर लोग इतना विश्वास करते हैं कि यहां की चींटियों को ही 'भगवान की चींटियां' कहा जाता है।

डॉक्टर और वैज्ञानिक भी हो गए हैरान

यह चमत्कार सुनकर कई डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने मंदिर और इसके प्रभाव की जांच की। उन्होंने उन लोगों का ब्लड शुगर टेस्ट किया जो पहले डायबिटीज से जूझ रहे थे और मंदिर में दर्शन करने के बाद उनमें सुधार दिखा। कुछ डॉक्टरों ने माना कि वाकई यहां कुछ चमत्कारी असर होता है यहां आकर कुछ लोगों की डायबिटीज में सचमुच कमी आई।

इतिहास से जुड़ी मान्यता: मंदिर की रक्षा करने वाली चींटियां

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कहानी भी प्रचलित है। कहा जाता है कि जब मुगल शासक इस मंदिर पर हमला करने आए तो यहां की चींटियों ने ही मंदिर की रक्षा की। भक्तों का विश्वास है कि इन चींटियों में ईश्वरीय शक्ति है जो न सिर्फ मंदिर की रक्षा करती हैं बल्कि बीमारी से भी मुक्ति दिलाती हैं।
मंदिर की जानकारी: कब और कैसे पहुंचे

दर्शन का समय: सुबह: 8:00 बजे से 12:00 बजे तक

शाम: 5:00 बजे से रात 8:00 बजे तक

मंदिर का स्थान: कोइल वेन्नी, अम्मापेट्टी गांव, जिला तिरुवरूर, तमिलनाडु।

कैसे पहुंचे मंदिर तक?


हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है त्रिची (Trichy) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो मंदिर से लगभग 90 किमी दूर है। यहां से टैक्सी या बस के जरिए आप मंदिर पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन है तिरुवरूर जंक्शन, जो मंदिर से लगभग 23 किमी दूर है।

सड़क मार्ग: तिरुवरूर, तंजावुर, कुंभकोणम और मन्नारगुडी से मंदिर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। अगर आप खुद की गाड़ी से जा रहे हैं, तो तंजावुर से अम्मापेट्टी होते हुए मंदिर पहुंच सकते हैं। कोइल वेन्नी बस स्टॉप से मंदिर तक लगभग 2 किमी पैदल चलना होता है।

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